इस पोस्ट में मैं आपको वायरस या वायरस की खोज, परिभाषा, परिधि, आकृति, वायरस या वायरस के लक्षण बताऊंगा। विषाणु अंग्रेजी में। इस पोस्ट में, मैंने वायरस या वायरस के इतिहास की खोज की, जिस ने वायरस या वायरस की खोज की?, वायरस या वायरस की खोज कब की गई थी?, वायरस का माप क्या है?,
अगर हम वायरस की संरचना के बारे में बात करते हैं। तो वायरस की कोई संरचना नहीं है। यह किसी भी आकार में होता है। किसी भी वायरस का व्यास 20 से 300 नैनोमीटर के बीच हो सकता है।
वायरस का आकार क्या है?, और वायरस के कुछ प्रमुख लक्षण क्या हैं?, इन सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है। मेरी पूरी पोस्ट को अंत तक ध्यान से पढ़ना।
जीवित और निर्जीव के अलावा, कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जिनमें दोनों के गुण हैं, इन्हें वायरस कहा जाता है।
History of virus
1892 में, रूसी जीवविज्ञानी दिमित्री इवानोव्स्की ने अपने प्रयोग और अध्ययन की मदद से बताया कि वायरस को इसलिए पहला खोजकर्ता इवानोव्स्की कहा गया।
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बिषाणु का अर्थ है " बिष के अणु " यह प्रोटीन एवं न्यूक्लिक अम्ल के बने उपकोशिकीय संरचना वाले परजीबी होता है यह जीवाणु अर्थात वैक्टीरिया से भी छोटे होते है। यह केवल जीवित कोशिकाओ के अंदर गुणन कर सकते है यह केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर गुणन कर सकते है। यह जंतु और पादपों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।
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- बिषाणुओ को कोशिकीय संगठन नहीं पाया जाता है।
- किसी भी बिषाणु को केवल इलेक्ट्रॉनिक सूक्ष्मदर्शी से ही देखा जा सकता है।
- विषाणु में केवल एक ही प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल पाया जाता है।
- वायरस सदैव अविकल्पी परजीवी होते हैं।
- इनमें किसी भी प्रकार का एंजाइम नहीं पाया जाता है।
- इन पर निम्न ताप, उच्च ताप, सूर्य का प्रकाश, आदि का प्रभाव नहीं होता है।
- इन्हें माध्यम में नहीं उत्पन्न किया जा सकता है।