वृत्ति/ अर्थ
क्रिया के जिस रुप से कार्य संपन्न होने की निश्चयात्मकता सूचना, संभावना अथवा आज्ञानुसार संपन्न होने का अर्थ ज्ञात हो, उसे अर्थ कहते हैं।इसे रिति भी कहते हैं,
अर्थ 6 प्रकार के होते हैं-
1. संभावनार्थ
ऐसी क्रिया जिसके अंतर्गत संदेश, इच्छा, शर्त, प्रश्न तथा अनुमान विषय संभावनाएं आती हैं, वह
संभावनार्थ कहलाता हैं; जैसे-
शायद प्रिया कल आए। धूप होने की संभावना है। ( संभावना )
यह साइकिल पता नहीं किसकी है। (संदेश)
तुम हमेशा अच्छे रहो। भगवान तुम्हें हमेशा अच्छा रखे। (इच्छा)
तुम्हें बड़ों का सम्मान करना चाहिए।। ( कर्तव्य)
तुम जाओगे तो मैं भी जाऊंगा । (शर्त)
मैं चलूं ? कहां खो जाएंगे सब लोग? (प्रशन)
2. निश्चयार्थ
ऐसी क्रिया जिसके अंतर्गत सामान्य कथन , निषेध, प्रश्न आदि आते हैं उसे निश्चयार्थ कहते हैं;जैसे-
मोहिनी नहाती है। ( सामान्य कथन)
वह नहीं रुकना चाहता (निषेध)
क्या जानना चाहते हो? (प्रसन्न)
3. ज्ञानर्थ
ऐसी क्रिया जिसके अंतर्गत स्वीकृत, अस्वीकृत, आदेश, प्रार्थना तथा उपदेश आदि आते हैं, उसे ज्ञानर्थ कहते हैं;जैसे-
तुम पढ़ो। तुम खेलो। ( आज्ञा )
सभी बच्चे सुबह 8:00 बजे आ जाएं। ( आदेश)
तुम चले जाना। तुम खा लेना। (स्वीकृत)
तुम घूमने मत जाना उसके जैसा मत बनना। (अस्वीकृत)
हे ईश्वर! मेरी कामना पूरा करो। ( प्रार्थना)
किसी को चोट मत पहुंचाओ।बड़ों का आदर करो। (उपदेश)
4. इच्छार्थ
इनमें वक्ता की इच्छा कामना आशीर्वाद बर्तन साफ आदि का पता चलता है; जैसे-
ईश्वर सबकी भला करें
5. संकेतार्थ
अपनी कार्य पूर्ति के लिए वक्ता कुछ शर्तों को पूरा होना आवश्यक समझता है; जैसे-
अगर वर्षा हुई तो मोहनी नहीं आएगी
6. प्रशनार्थ
ऐसे वाक्य में वक़्त के मन में जिज्ञासा या शंका हो और वह उसका निर्णय पाने के लिए कोई प्रश्न करें; जैसे-
अब मैं क्या करूं?
क्या उसे खाने दोगे?