samas in hindi grammar

समास परिचय-

                समास शब्द का अर्थ है, संक्षिप्त या छोटा करना, जैसे- राजा का भवन इसे संक्षिप्त करके हम राजभवन कहते हैं, लिखते हैं. संक्षिप्त करने की इसी विधि को समाज कहते हैं।

      समास की परिभाषा

                        संक्षेप का विग्रह अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक कर देना। इसमें दो या अधिक पदों अथवा शब्दों को मिलाकर एक पद निर्मित कर लिया जाता हैं;

जैसे-' रेल पर चलने वाली गाड़ी में शेष सभी शब्दों का लोप करके 'रेलगाड़ी' नया  शब्द बना लिया जाता है

समस्त शब्द = समाज करने  जो स्वतंत्र शब्द बनता है उसे समस्त शब्द कहते हैं।
समस्त विग्रह = सामासिक पदों के बीच का संबंध स्पष्ट करना समास विग्रह कहा जाता है।

समास की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

   1. समास में सामान्यतया शब्दों के अर्थ से भिन्न एक नया अर्थ मिलता है।
   2. समास के दोनों पदों शब्दों को अलग करने पर वाक्य की संरचना बिगड़ जाएगी।

समास के मुख्य भेद छ: हैं-


1. अब्ययी भाव समास
2.तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. दिगु समास
5. द्वंद समास
6. बहुव्रीहि समास




अव्ययीभाव समास

              जिस समास में पहला पद प्रधान हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जैसे-
                                           रातों - रात - रात ही रात में,कानों-कान एक कान से दूसरे कान में।
समस्त पद               विग्रह
भरपेट                 -                    पेट भरकर
प्रतिदिन              -                     हर दिन
प्रतिवर्ष               -                     हर वर्ष
बेशक                 -                    बिना संदेह
घर घर                -                      हर एक घर

तत्पुरुष समास

               जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे- राजभवन - राज्य का भवन
                             देशभक्त -  देश के लिए भक्ति
दृष्टव्य- समास का विग्रह करते समय जो विभक्ति प्रगट हो उसी का रखवाला वह समास होता है यथा- तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत इस कारण तत्पुरुष है।
समस्त पद                  विग्रह
चिंतातुर                  -                   चिंता से आतुर
प्रेमातुर                   -                    प्रेम से आतुर
देश गत                  -                   देश को गया हुआ
गौशाला                 -                 गौऔ के लिए शाला
 गुरु दक्षिणा            -                गुरु के लिए दक्षिणा

3.कर्मधारय समास

         जहां पदों में विशेषण विशेष्य का उपमान उपमेय का संबंध हो वहां कर्मधारय समास होता है; जैसे-
 विशेषण - विशेष्य
समस्त पद                विग्रह
महाराजा               -              महान है जो राजा
 नीलगाय                -                नीली है जो गाय 
महात्मा                  -              महान है जो आत्मा 
नीलकमल               -              नीला है जो कमल 
नीलांबर                  -                 नीला है जो अंबर

4.द्विगु समास

         जहां पहला पद संख्यावाची हो और समस्त पद समूहवाचक बन गया हो वह द्विगु समास कहलाता है; जैसे-
समस्त पद              विग्रह

चतुर्भुज          -        चार भुजाओं का समाहार
 नवग्रह            -               नौ ग्रहों का समाहार 
त्रिकोण            -            तीन कोणों का समाहार
 नवरात्र            -            9 रात्रियों का समूह
द्विगु                 -                  दो गायों का समूह

5.द्वंद समास

        जिनमें प्रत्येक पद प्रधान हो, उसे द्वंद समास कहते हैं; जैसे-
समस्तपद               विग्रह
हार-जीत                   -          हार और जीत
 गंगा-जमुना               -        गंगा और जमुना
 खट्टा-मीठा                -         खट्टा और मीठा 
पृथ्वी-आकाश             -        पृथ्वी और आकाश
 सुख-दुख                  -               सुख और दुख

6.बहुव्रीहि समास

              जिसमें कोई भी पद प्रधान ना हो, बल्कि समस्त पद शब्द किसी और की अर्थ का वाचक हो; जैसे-
घनश्याम -   घन के समान श्याम है जो   अर्थात कृष्ण
 त्रिलोचन-   तीन है लोचन जिसके     अर्थात शंकर
 चंद्रशेखर-  शेखर (माथे) पर चंद्र है जिसके अर्थात शिवजी
दशानन-    दस हैं आनन जिसके     अर्थात रावण 
अंशुमाली-  अंशु (किरणें) माला में जिसके  अर्थात सूर्